~ अटलांटिक महासागर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है। यह महासागर आकार में प्रशांत महासागर का लगभग आधा है। यह सम्पूर्ण संसार के लगभग पांचवें भाग के बराबर है।
~ अटलांटिक महासागर को अंध महासागर के नाम से भी जाना जाता है।
~ अटलांटिक महासागर को प्यासा महासागर के नाम से भी जाना जाता है। क्यूंकि विश्व की कई बड़ी नदियां जैसे – अमेज़न नदी, मिसिसिपी, कांगो, नाइजर नदी आदि इस महासागर में गिरती हैं।
~ अटलांटिक महासागर का क्षेत्रफल 10,64,60,000 वर्ग किमी. है।
~ इस महासागर की औसत गहराई लगभग 3646 मी. है।
~ अटलांटिक महासागर आकृति में अंग्रेजी के ‘S’ अक्षर से मिलता जुलता है।
~ अटलांटिक महासागर के पश्चिम में उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप तथा पूर्व में यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप स्थित हैं। यह महासागर दक्षिण में अंटार्कटिका महाद्वीप और उत्तर में ग्रीनलैंड, आइसलैंड तथा अन्य छोटे द्वीपों से घिरा हुआ है।
~ भूमध्य रेखा के निकट रोमांश गर्त अटलांटिक महासागर को दो भागों में विभाजित करता है। इसके उत्तरी भाग को डॉल्फिन श्रेणी और दक्षिणी भाग को चैलेंजर कटक कहा जाता है।
~ इस महासागर के चारों ओर भिन्न भिन्न चौड़ाईयों वाले महाद्वीपीय मग्नतट स्थित हैं। अफ्रीका महाद्वीप के तट पर इसकी चौड़ाई 80-660 किमी. तक तथा उत्तर पूर्वी अमेरिका महाद्वीप और उत्तर पश्चिमी यूरोप महाद्वीप के तटों के समीप इसकी चौड़ाई 250-400 किमी. तक है।
~ अटलांटिक महासागर के दोनों किनारों पर, विशेषकर उत्तरी भाग में अनेक तटीय सागर हैं। जिनमें से अधिकांश महाद्वीपीय मग्नतटों पर स्थित हैं। हडसन की खाड़ी, उत्तरी सागर तथा बाल्टिक सागर आदि मग्नतटों पर ही स्थित हैं।
~ अटलांटिक महासागर का मुख्य आकर्षण या मुख्य विशेषता ” मध्य अटलांटिक कटक ” है। जो इस महासागर की भांति ही ‘S’ अक्षर की आकृति में उत्तर से दक्षिण तक फैला हुआ है। यह उत्तर में आइसलैंड से दक्षिण में बोवेट द्वीप तक लगभग 14000 किमी. लंबा तथा लगभग 4000 मीटर ऊंचा है। यह खिंचाव तथा भ्रंशन क्रिया द्वारा बना है। यद्यपि यह एक जलमग्न कटक है परन्तु इसकी अनेक चोटियां महासागरीय जलस्तर से ऊपर निकली हुई हैं। जो कि मध्य अटलांटिक के द्वीप हैं। अजोर्स का पाइको द्वीप और केपवर्ड द्वीप इसके उदाहरण हैं।
~ सबसे तीखी या नुकीली चोटी भूमध्य रेखा के निकट सेंट पॉल नामक द्वीप समूह की हैं।
~ दक्षिणी अटलांटिक महासागर में बरमूडा जैसे प्रवाल द्वीप तथा ट्रिस्ता दी कन्हा, सेंट हेलेना, असेंसन, गुआ और बोवेट द्वीप जैसे अनेक ज्वालामुखीय द्वीप भी हैं।
~ इस महासागर की तटरेखा बहुत ही कटी – फटी है। इसके कारण इसकी तटरेखा की लंबाई अन्य महासागरों की तटरेखा की लंबाई से ज्यादा है।
~ अटलांटिक महासागर 55° उत्तरी अक्षांश के पास बहुत अधिक चौड़ा हो जाता है। जहां इसे टेलीग्राफिक पठार के नाम से जाना जाता है।
~ अटलांटिक महासागर में गर्त और द्रोणीयां कम पाई जाती हैं। उत्तरी केमन तथा पॉर्टोरिको नामक दो द्रोणीयां और रोमांस तथा दक्षिणी सैंडविच नामक दो गर्त हैं।
~ अटलांटिक महासागर का सबसे गहरा गर्त प्यूर्तो रिको ट्रेंच है। इसमें स्थित मिल्वाैकी डीप की गहराई लगभग 8376 मी. है।
~ अटलांटिक महासागर विश्व का सबसे अधिक व्यस्त महासागर है।
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