WELCOME TO PROMISEDPAGE

Always type promisedpage4u.bogspot.com to search our blog विभिन्न "दिन विशेष" प्रश्नमंजूषा में हिस्सा लेकर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले सभी सहभागियों का अभिनंदन। सहभागियों की संख्या ज्यादा होने के कारण प्रमाणपत्र भेजने में देरी हो सकती है। सभी सहभागियों के प्रमाणपत्र भेजे जाएंगे। कृपया सहयोग करे। "A good teacher can inspire hope, ignite the imagination, and instil a love of learning." - Happy Teachers Day. Click here for Quiz on National Teachers Day. Participants are requested to type their correct email address to receive the certificates. Type your school name and address in short
Showing posts with label Good Governance Day. Show all posts
Showing posts with label Good Governance Day. Show all posts

Sunday, December 13, 2020

Good Governance Day 25 दिसंबर - सुशासन दिवस (भारत)

 25 दिसंबर - सुशासन दिवस (भारत)

  भारत में सुशासन दिवस 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाने के लिए मनाया जाता है, उनकी समाधि अर्थात् 'सादियाव अटल' राष्ट्र को समर्पित थी और एक कवि, मानवतावादी, राजनेता और एक महान नेता के रूप में उनके व्यक्तित्व को दर्शाती है।

16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। भारत के लोगों में शासन में जवाबदेही के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए 2014 में सुशासन दिवस की स्थापना की गई थी।


अटल बिहारी वाजपेयी (२५ दिसंबर १९२४ – १६ अगस्त २०१८) भारत के तीन बार के प्रधानमंत्री थे। वे पहले १६ मई से १ जून १९९६ तक, तथा फिर १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे।  वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और १९६८ से १९७३ तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।

वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, दस बार, और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया,  2009 तक उत्तर प्रदेश जब स्वास्थ्य सम्बंधी चिंताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के ५ साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे भीष्मपितामह भी कहा जाता है।उन्होंने २४ दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें ८१ मन्त्री थे।

२००५ से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे ।  १६ अगस्त २०१८ को एक लम्बी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में श्री वाजपेयी का निधन हो गया। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे .

आरम्भिक जीवन

उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में २५ दिसम्बर १९२४  को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि  भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।

कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी  में उत्तीर्ण की।  उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे।

सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

राजनीतिक जीवन

वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् १९६८ से १९७३ तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् १९५७ में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् १९७७ से १९७९ तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी।

१९८० में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। ६ अप्रैल १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया।  दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९६ में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल १९९८ को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।

सन् २००४ में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भा॰ज॰पा॰ के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एन॰डी॰ए॰) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भा॰ज॰पा॰ विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे।

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाना

अटल सरकार ने ११ और १३ मई १९९८ को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।

पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल

19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की।

कारगिल युद्ध

कुछ ही समय पश्चात् पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया। इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का बहुत नुकसान हुआ और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गए।

स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना

भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (अंग्रेजी में- गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट या संक्षेप में जी॰क्यू॰ प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्गों से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।

वाजपेयी सरकार के अन्य प्रमुख कार्य

  • एक सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।
  • संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं।
  • आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों के मूल्योंं को नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमन्त्रियों का सम्मेलन बुलाया।
  • उड़ीसा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया।
  • आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया।
  • ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।
  • सरकारी खर्चे पर रोजा इफ़्तार शुरू किया

ये सारे तथ्य सरकारी विज्ञप्तियों के माध्यम से समय समय पर प्रकाशित होते रहे हैं।

व्यक्तिगत जीवन

वाजपेयी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। उन्होंने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया। राजकुमारी कौल की मृत्यु वर्ष 2014 में हो चुकी है। अटल जी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे  वह हिंदी में लिखते हुए एक प्रसिद्ध कवि थे। उनके प्रकाशित कार्यों में कैदी कविराई कुंडलियां शामिल हैं, जो 1975-77 आपातकाल के दौरान कैद किए गए कविताओं का संग्रह था, और अमर आग है। अपनी कविता के संबंध में उन्होंने लिखा, "मेरी कविता युद्ध की घोषणा है, हारने के लिए एक निर्वासन नहीं है। यह हारने वाले सैनिक की निराशा की ड्रमबीट नहीं है, लेकिन युद्ध योद्धा की जीत होगी। यह निराशा की इच्छा नहीं है लेकिन जीत का हलचल चिल्लाओ। "

कवि के रूप में

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यस महासंघ है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता और रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक और काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें शृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर "एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक" की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण को ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता।

अटल जी ने किशोर किशोर में ही एक अद्भुत कविता लिखी थी - '' हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय ", जिससे यह पता चलता है कि बचपन से ही उनका रुझान देश हित की तरफ था।

राजनीति के साथ-साथ समस्ती और राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके आत्मविश्वासमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव और अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक स्वर भी निकाला था।

मृत्यु

वाजपेयी को २०० ९ में एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असंतुष्ट हो गए थे। उन्हें ११ जून २०१८ में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहां १६ अगस्त २०१८ को शाम ०५:०५ बजे शाम को मृत्यु हो गई। उनके निधन पर जारी एम्स के गंभीर बयान में कहा गया है:

"पूर्व प्रधान अटल बिहारी वाजपेयी ने १६ अगस्त २०१ शाम को शाम ०५:०५ बजे अंतिम सांस ली। पिछले ३६ घंटे में उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। हमने पूरी कोशिश की पर आज उन्हें समझा नहीं जा रहा था।"
उन्हें अगले दिन १ के अगस्त को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उनकी द्रोतक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनकी समाधि स्थल राजघाट के पास शान्ति वन में बने स्मृति स्थल में बनाया गया है। उनकी अंतिम यात्रा बहुत भव्य तरीके से निकाली गयी। जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सहित सैंकड़ों नेता गण पैदल यात्रा का नेतृत्व करते हुए पहुंचे। वाजपेयी के निधन पर भारत भर में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी। अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, ब्रिटेन, नेपाल और जापान सहित विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा उनके निधन पर दुःख जताया गया है।

अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया।

अटल जी की प्रमुख रचनाएँ

उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं:

  • रग-रग हिन्दू मेरा परिचय
  • हत्या या हत्या
  • अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
  • कैदी कविराय की कुंडलियाँ
  • संसद तीन दशक में
  • अमर आग है
  • कुछ लेख: कुछ भाषण
  • सेक्युलर डिस
  • राजनीति की रपटीली राहें
  • बिंदु बिंदु विचार, इत्यादि।
  • मेरी इक्यावन कविताएँ

पुरस्कार

  • १ ९९ २: पद्म विभेद
  • १ ९९ ३: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
  • १ ९९ ४: लोकमान्य तिलक उपाधि
  • १ ९९ ४: श्रेष्ठ सांड्स
  • १ ९९ ४: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत की डिग्री
  • २०१५: डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
  • २०१५: 'फ्रेंड्स ऑफ़ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड', (बांग्लादेश सरकार प्रदत्त)
  • २०१५५: भारतरत्न से सम्मानित

जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य

  • आजीवन अविवाहित रहे।
  • वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी हैं।
  • परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये।
  • सन् १९९८ में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी०आई०ए० को भनक तक नहीं लगने दी।
  • अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।
  • अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।
अटल जी की टिप्पणियाँ
चाहे प्रधान मन्त्री के पद पर हों या नेता प्रतिपक्ष हों; निश्चित रूप से देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की; नपी-तुली और बेव टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके। यहाँ पर उनकी कुछ टिप्पणियाँ दी जा रही हैं।

"भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसी भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।"
"क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ ।"
"मैं कवितांग का ऐलान है, परजय की प्रस्तावना नहीं। वह हरे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते कवि का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष ।"

Development Class 10 MCQ Test

Development Class 10 MCQ Quiz Please fill the above data! Start The Quiz coin :  0 Next question See Your Result Name : Apu Roll :...

PROMISEDPAGE

Quiz on "AZAD HIND FAUJ" UPLOADED. TYR IT.

BEST OF LUCK

"HAVE A NICE DAY "