आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा उपाय: एक विस्तृत अध्ययन
परिचय
भारत में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 ने नागरिकों को सरकारी पारदर्शिता सुनिश्चित करने का शक्तिशाली उपकरण प्रदान किया है। हालांकि, आरटीआई कार्यकर्ता अक्सर भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण धमकियों, हमलों और यहां तक कि हत्या का शिकार होते हैं। 2005 से अब तक 74 से अधिक कार्यकर्ताओं की हत्या दर्ज की गई है। यह पृष्ठ आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा उपायों का अन्वेषण करता है, जिसमें कानूनी सुरक्षा, समर्थन नेटवर्क और व्यावहारिक सलाह शामिल हैं। यह सामग्री 7 अक्टूबर, 2025 तक अद्यतन है।
आरटीआई कार्यकर्ताओं के लिए सुरक्षा उपाय
1. गुमनाम आरटीआई आवेदन दाखिल करना
आरटीआई आवेदनों को गुमनाम रूप से दाखिल करने की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। आवेदक को केवल ईमेल आईडी प्रदान करने की आवश्यकता होनी चाहिए, न कि पूरा पता या मोबाइल नंबर। इससे कार्यकर्ताओं की पहचान सुरक्षित रहती है और हमलों का जोखिम कम होता है।
- कानूनी सुझाव: कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुझाव दिया है कि आवेदकों को केवल डाकघर बॉक्स नंबर या गुमनाम ईमेल का उपयोग करने की अनुमति दी जाए।
- लाभ: यह आवेदकों की गोपनीयता सुनिश्चित करता है।
2. व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2011
यह अधिनियम भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, यह अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ताओं को इस अधिनियम के तहत जांच और सुरक्षा का अधिकार है।
- मुख्य प्रावधान: सरकारी अधिकारियों द्वारा दुरुपयोग की जांच और सुरक्षित शिकायत तंत्र।
- सुधार की मांग: व्हिसलब्लोअर संरक्षण विधेयक में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) के तहत अभियोजन से सुरक्षा जोड़ी जाए।
3. तत्काल एफआईआर और सुरक्षा आदेश
आरटीआई कार्यकर्ताओं पर धमकी या हमले की शिकायत पर तत्काल प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की जानी चाहिए। एफआईआर को 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट या जज के समक्ष प्रस्तुत किया जाए ताकि सुरक्षा निर्देश जारी हो सकें।
- पीड़ितों के लिए: परिवार सहित सुरक्षा उपायों की समय-समय पर समीक्षा।
- कानूनी आधार: आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत।
4. समर्थन नेटवर्क और संगठन
आरटीआई कार्यकर्ता संघ भारत जैसे संगठन कानूनी सहायता, काउंसलिंग और सुरक्षा उपाय प्रदान करते हैं। ये नेटवर्क अपील दाखिल करने, धमकियों के खिलाफ कार्रवाई और प्रशिक्षण में मदद करते हैं।
- सेवाएं: अपील सहायता, कानूनी प्रतिनिधित्व और सुरक्षा नेटवर्क।
- उदाहरण: कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) द्वारा हमलों का ट्रैकर।
5. पुलिस सुरक्षा और तेज ट्रैक कोर्ट
आरटीआई क्लब जैसे संगठनों ने मुख्यमंत्री से कार्यकर्ताओं के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की है। दोषियों के खिलाफ तेज ट्रैक कोर्ट में मुकदमे और सीबीआई जांच की आवश्यकता है।
- मांग: दो आरटीआई कार्यकर्ताओं की संदिग्ध मौतों पर सीबीआई जांच।
- लाभ: त्वरित न्याय और निवारक प्रभाव।
6. व्यावहारिक सुरक्षा सलाह
आरटीआई उपयोगकर्ताओं के लिए हमलों का ट्रैकर (attacksonrtiusers.org) व्यावहारिक सलाह प्रदान करता है, जैसे कि संवेदनशील जानकारी साझा न करना और समुदाय समर्थन लेना।
- सलाह: हमलों की रिपोर्टिंग, मीडिया कवरेज और सहयोगी नेटवर्क का उपयोग।
- ट्रेनिंग: स्कूल स्तर पर आरटीआई फाइलिंग सिखाना।
चुनौतियां
आरटीआई कार्यकर्ताओं को 164 हमलों और 180 धमकियों का सामना करना पड़ता है। महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे अधिक मामले दर्ज हैं। सूचना आयोगों में 4 लाख से अधिक लंबित अपीलें हैं, जो न्याय में देरी का कारण बनती हैं।
निष्कर्ष
आरटीआई अधिनियम ने लोकतंत्र को मजबूत किया है, लेकिन कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। गुमनाम फाइलिंग, मजबूत व्हिसलब्लोअर कानून और समर्थन नेटवर्क से इन जोखिमों को कम किया जा सकता है। सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए ताकि पारदर्शिता का यह उपकरण सुरक्षित रहे। अधिक जानकारी के लिए: attacks on RTI users और RTI Activist Association।
प्रकाशित: 7 अक्टूबर, 2025। स्रोत: विकिपीडिया, सीएचआरआई, द वीक।
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