Saturday, August 30, 2025

Sexual Harassment at Workplace - MCQs

Sexual Harassment at Workplace in India

Test your knowledge about India's Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013 with these multiple-choice questions based on the provided text.

1. What is the Hindi term mentioned for sexual harassment in the text?

2. When was the Sexual Harassment of Women at Workplace Act passed in the Lok Sabha?

3. When was the Act notified?

4. Which articles of the Indian Constitution are mentioned as being violated by sexual harassment?

5. Which Supreme Court case is referenced for the definition of sexual harassment?

6. Which ministry showed concern about sexual harassment affecting employment opportunities?

7. When was the inter-ministerial task force meeting held on gender equality?

8. Which international organization helped prepare the complaint committee guidelines?

9. At which levels is the Act intended to be implemented?

10. Which chapter of the document provides definitions related to sexual harassment?

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Based on the provided text about India's Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013

काम के स्थान पर यौन उत्पीड़न: भारत के संदर्भ में

काम के स्थान पर यौन उत्पीड़न: भारत के संदर्भ में

प्रकाशित: अगस्त 2023

'यौन उत्पीड़न' शब्द भारत में कई लोगों के लिए नया हो सकता है, पर यौन प्रकृति वाला अयौक्तिक, अनुचित व्यवहार, जिसे 'ईव-टीजिंग' (युवती को छेड़ना) भी कहा जाता है, भारत या दुनिया के कई अन्य हिस्सों के लिए नया नहीं है। भारत की महिलाओं के लिए, यह एक हकीकत है।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, अधिकांश मामलों में पुरुषों द्वारा महिलाओं को लक्ष्य कर किया जाता है, लेकिन किसी भी महिला या पुरुष को ऐसा व्यवहार सहन नहीं करना चाहिए, जो उनकी इच्छा और मर्यादा का उल्लंघन करें, और जिससे उस व्यक्ति, संस्थान या समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़े।

कानूनी प्रगति

ऐसे व्यवहार पर रोक लगाने के लिए कई एशियाई देशों ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने हेतु कानूनी कदम उठाए हैं। इसी साल भारत ने इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए 'कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013' पारित किया है।

यह अधिनियम लोक सभा में 3 सितंबर 2012 को तथा राज्य सभा में 26 फरवरी 2013 को पारित हुआ, और 23 अप्रैल 2013 को इसे अधिसूचित किया गया। यह अधिनियम इस बात को सुनिश्चित करता है कि यौन उत्पीड़न के चलते संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 के तहत महिलाओं को प्राप्त समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है।

अधिनियम की सीमाएँ

हालाँकि, इसमें अभी भी कुछ कानूनी कमियाँ हैं, क्योंकि इसमें कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से केवल महिलाओं के लिए सुरक्षा की बात की गई है, पुरुषों के लिए नहीं।

सरकार की पहल

भारत सरकार, विशेष रूप से श्रम और रोजगार मंत्रालय ने, यौन उत्पीड़न पर चुप्पी तोड़ने को ले कर प्रतिबद्धता दिखाई है क्योंकि यह रोजगार और कैरियर के समान अवसर के महिलाओं के अधिकार में बाधक बनता है।

15 मार्च 2013 को कार्यस्थल पर लैंगिक समानता के मुद्दे पर हुई 'त्रि-मंत्रालयी वार्ता कार्यबल' की बैठक में इसे लेकर चिंता जताई गई। जवाब में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम और निवारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की मदद से उत्पीड़न दिशा-निर्देशों के अनुरूप एक शिकायत समिति के लिए एक मार्गदर्शिका का प्रारूप तैयार किया गया।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न एक गंभीर मुद्दा है जिसका सामना समाज और कार्यस्थल दोनों में करना होगा। भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस दिशा में सराहनीय हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

यह लेख कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर आधारित है और इसे जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है।

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