🛸🛸शुक्र ग्रह 🏐
💎शुक्र ग्रह का एक दिन इसके एक साल से बड़ा होता है।
💎 शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है क्योंकि दोनो के आकार में काफी समानता पाई जाती है।
💎शुक्र ग्रह का व्यास पृथ्वी के व्यास का 95 प्रतीशत तथा वज़न में पृथ्वी का 80 फीसदी है। दोनो पर क्रेटर कम हैं और घनत्व तथा रासायनिक संरचना समान है।
💎 शुक्र ग्रह पर सल्फुरिक ऐसिड़ के बादलों की कई किलोमीटर मोटी परतें है जो इसकी सतह को पूरी तरह से ढ़क लेती हैं। इस कारण से शुक्र ग्रह की सतह देखी नहीं जा सकती। इन बादलों के बीच में से 350 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से तेज़ हवाएँ चलती हैं।
💎 शुक्र सूर्य के सापेक्ष एक चक्कर पूरा करने के लिए पृथ्वी के लगभग 224.70 दिनो का समय लेता है जबकि अपने अक्ष(धुरी) के सापेक्ष एक चक्कर पूरा करने के लिए 243 दिन लगाता है।
💎 शुक्र और पृथ्वी में पाई जाने वाली समानताओं और शुक्र के ऊपर बादलों के कारण पहले यह अनुमान लगाया गया था कि शायद बादलों के नीचे शुक्र ग्रह पृथ्वी के जैसा होगा और वहां पर जीवन होगा। पर बाद में भेजे गए उपग्रहों और यानों से यह जानकारी मिली कि दोनो ग्रह एक दूसरे से काफ़ी अलग हैं और शुक्र पर जीवन का होना तो नामुनकिन है।
💎 शुक्र ग्रह का वायुमंडल मुख्य रूप से कार्बन डाय आक्साईड का बना हुआ है । इतनी ज्यादा कार्बन डाय आक्साईड बहुत ज्यादा ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करती है जिससे इसके सूर्य की तरफ वाले भाग का तापमान 462 डिग्री सेल्सीयस तक पहुँच जाता है। इतना ज्यादा तापमान इसको सूर्य मंडल का सबसे गर्म ग्रह बना देता है।
💎 शुक्र ग्रह का वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के वायुमंडलीय दबाव से 92 गुणा ज्यादा है। इतना ज्यादा दबाव पृथ्वी पर समंदर की सतह से एक किलोमीटर नीचे ही होता है।
💎 रस ने सन 1961 में वेनीरा 1 स्पेश मिसन शुक्र पर भेजने की कोशिश की, पर संम्पर्क टूट जाने के कारण यह मिशन असफल रहा।
💎 अमेरिका का मेरीनर 1 भी शुक्र की कक्षा में पहुँचने में असफल रहा, हांलाकि मेरीनर 2 सफल रहा जिसने शुक्र से जुड़े कई आंकड़े भेजे। इसके बाद सोवियत संघ का वेनेरा 3 शुक्र की सतह पर पहुँचने वाला पहला मानव-निर्मित यान बन गया। अब तक 20 से ज्यादा यान शुक्र की यात्रा कर चुके हैं।
💎 2006 में युरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा भेजे गए Venus Express space shuttle ने शुक्र पर 1000 से ज्यादा ज्वालामुखीयों की खोज की।
💎 आकड़ों के मुताबिक शुक्र पर अभी भी ज्वालामुखी सक्रिय हैं पर कुछ ही क्षेत्रों में, ज्यादातर हिस्सा लाखों सालों से शांत है। कुछ ओर यानों से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि शुक्र की सतह का ज्यादातर हिस्सा लावे के पदार्थों से ढ़का है।
💎 शुक्र पर कई जगह गड़ढ़े एक साथ पाए गए हैं जिससे लगता है कि कोई बड़ी उल्का सतह से टकराने से पहले छोटे टुकड़ो में बंट जाती है।
💎 शुक्र पर छोटे-छोटे गड्ढ़े नही हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि उल्काएँ शुक्र के वायुमंडल में सतह से टकराने से पहले ही जल जाती हों।
💎पहले ग्रीक और रोमन लोग शुक्र को एक नहीं ब्लकि दो ग्रह मानते थे।
💎गरीक लोग सुबह दिखने वाले तारे को Phasphorus और रात को दिखने वाले को Hosporus कहते थे।
💎रोमन लोग क्रमवार Lucifer और Vesper कहते थे। लेकिन बाद में इन के खगोलविदों ने पाया कि यह दो नहीं ब्लकि एक ग्रह ही है। इसके बाद यह लोग शुक्र को रात के आकाश में सबसे ज्यादा चमक के कारण इसे सुंदरता और प्यार की देवी कहने लगे।
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